बिहार के लिए कलंक बना धारावाहिक बंद हुआ
निमकी मुखिया धारावाहिक बिहार की सुशासन व्यवस्था पर एक दाग लगाने का सुनियोजित कुसित प्रयास
नई दिल्ली /मुम्बई, 3 फरवरी। ऐसा लगता है कि केंद्रीय सूचना व प्रसार मंत्रालय में कोई अधिकारी बिहार राज्य से दुश्मनी निकालने की कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। इसका प्रमाण यह है कि स्टार भारत के धारावाहिक निमकी मुखिया का लगातार हो रहा प्रसारण से यह बात सामने आ रही है। इस धारावाहिक में बिहार की बोली का सहारा लेकर वहां की व्यवस्था पर मनचाही बातें दिखा दी गई हैं। हैरानी की बात यह है कि सूचना प्रसारण मंत्रालय बिहार के एक मंत्री के पास है। ऐसा लगता है कि इस धारावाहिक का प्रसारण मुंबई के एक लिखाड़ लेखक के दिमाग की गंदी उपज का प्रमाण है। इस लेखक ने बिहार की शासन व्यवस्था तथा लोकतंत्र का जमकर मजाक उड़ाया है। ऐसा लगता है कि इस धारावाहिक का उददेश्य केवल बिहार की गलत छवि पेश करना है।
इस धारावाहिक की कथा एक गांव के मुखिया से शुरु होती है। इस कथा में शुरुआत में मुखिया के चुनाव का किस्सा बयान किया जाता है। इसके अलावा इसके अगले चरण में निमकी मुखिया को पलक झपकते ही उसे विधायक बना दिया जाता है। विधायक बनने की प्रक्रिया नहीं दिखाई जाती है। इसके पश्चात विधायक निमकी को पूर्व मुख्यमंत्री गंगा देवी के षड़यंत्र का शिकार दिखाया जाता है। इस षड़यंत्र में गंगा देवी के साथ प्रदेश के गृहमंत्री भी शामिल कर दिए जाते हैं। जबकि परंपरा यह है कि मुख्यमंत्री ही प्रदेश का गृहमंत्री को दायित्व संभालता है। हैरानी की बात यह है कि मुख्य विपक्षी दल की पूर्व मुख्यमंत्री गंगा देवी तथा प्रदेश का गृहमंत्री महिलाओं का शोषण करके धन कमाने में शामिल दिखाए गए हैं। बिहार में अब तक न कोई ऐसा पूर्व मुख्यमंत्री हुआ है जोकि महिलाओं के शोषण में धन कमाता हो। ऐसा लगता है कि धारावाहिक का लेखक बिहार की छवि को कलंकित करने में ही दिलचस्पी रखता है। यहीं कारण है कि उसने बिहार के अनेक घोटालों को दिखाने के बजाए एक अत्यंत लज्जित करने वाले कांड़ में बिहार के राजनीतिज्ञों को शामिल दिखा दिया है। हैरानी की बात यह है कि बिहार ही एक ऐसा प्रदेश है, जिसमें कि गुजरात के बाद पहली बार नशा मुक्त घोषित किया गया है। इतना ऐतिहासिक कदम उठाने वाले प्रदेश की इतनी घृणित छवि दिखाना लेखक का दिमागी रुप से बीमार होना ही साबित करता है।
हैरानी की बात यह है कि सूचना और प्रसारण मंत्री पद पर बिहार के एक मंत्री काबिज है। इसके बावजूद बिहार की छवि को कलंकित करने का सुनियोजित प्रयास एक धारावाहिक के द्वारा किया जा रहा है। अब तसल्ली की बात की है कि गत शनिवार को इस धारावाहिक का अंतिम ऐपीसोड़ पूरा हो गया। अब लेखक ने यह संकेत दिया है कि वह इस धारावाहिक की अगली कड़ी को भी सामने ला सकता है। ऐसा लगता है कि बिहार को कलंकित करने की इस लिखाड़ लेखक की मनोकामना पूरी नहीं हुई है। यह और भी बिहार के लिए कलंकित करने वाले इस ऐपीसोड़ को आगे भी चलाने की इच्छा रखता है।
हैरानी की बात यह है कि केंद्र की सरकार इस तरह के बिहार की की राजनीतिक व्यवस्था पर कलंक लगाने वाले धारावाहिक को कैसे प्रसारण अनुमति दे दी थी।
बिहार के लिए कलंक बना धारावाहिक बंद हुआ