विशेष प्रतिनिधि।
नई दिल्ली, 31 जनवरी। दिल्ली विधान सभा चुनाव में सांप्रदायिक रंग गहरा होता जा रहा है। एक तरफ शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून तथा एनएसए के विरुद्ध जानबूझ कर सांप्रदायिक संदभाव को चोट पहुंचाई जा रही है। इस स्थल पर मुस्लिम सांप्रदायिक तत्व औरतों और बच्चों की आड़ लेकर बहुसंख्यक समाज पर तीखा हमला कर रहे हैं। इन सांप्रदायिक तत्वों की आड़ में राजनीतिक दल भी अपनी रोटियां सेकने में लगे हुए हैं। इस मामले में कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी के नेता एक दूसरे से आगे आने की होड़ में लगे हुए हैं।
जबकि केंद्र सरकार के कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने यह बात स्पष्ट कर दी कि सीएए का एनसीए से कोई वास्ता नहीं है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि यह सीएए कानून नागरिकता देने के लिए है किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है। लेकिन ऐसा लगता है कि किसी सोए हुए व्यक्ति को जगाया जा सकता है परंतु जो सोने का स्वांग रच रहा हो उसे जगाया नहीं जा सकता। एक तरफ शरजील इमाम जैसे छात्र नेता अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में देश के टुकड़े टुकड़े करने का ऐलान करते हैं तथा दूसरी तरफ सीएए का जमकर विरोध राजनीतिक दलों द्वारा किया जाता है तो इसकी प्रति ध्वनि बहुसंख्यक समाज में भी सुनाई देने लगी है अगर बहुसंख्यक समाज में असुरक्षा की भावना आ गई तो देश में अशांति का दौर शुरु हो जाएगा।
दिल्ली विधानसभा के चुनावों के खातिर राजनीतिक दल अपना सांप्रदायिक एजेंडा चला रहे हैं। इस बात का अंदाजा इस चीज से हो सकता है कि दिल्ली की आम आदमी सरकार ने जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में छात्रों द्वारा भारत के टुकडे़ टुकडे़ करने के नारे लगाने वाले छात्र नेता कन्हैया कुमार के खिलाफ देश द्रोह का मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं दी थी। अब मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि उन्हें अराजकतावादी कहना गलत है। जबकि हकीकत यह है कि केजरीवाल ने अपने राजनीतिक गुरु अन्ना हजारे से यह वादा किया था कि वह कोई राजनीतिक दल नहीं बनाएंगे। लेकिन केजरीवाल ने अपने गुरु की शिक्षा पर अमल न करके आम आदमी पार्टी के नाम से राजनीतिक दल बना लिया।
गौरतलब है कि कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली प्रदेश के विधान सभा चुनावों में मुस्लिम मतदाताओं को अपने खेमे में लाने के लिए बढ़चढ़ कर मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति पर चल रहे हैं। इसका असर यह हो रहा है कि इनके तुष्टिकरण के विरोध में बहुसंख्यक समुदाय में भी प्रतिक्रिया होती हुई दिखाई दे रही है।
इस चुनाव में शरजील इमाम द्वारा देश के विभिन्न भागों में मुस्लिमों से एक जुट होकर शहरों को जाम करने का आहृवान करने से बहुसंख्यक समाज में भी भारी प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं। इस बात का पता जामिया के छात्रों के जलूस में नाबालिग द्वारा गोली चलाने से चल गया है।
शरजील के बदले में मिलेगी सांप्रदायिकता: जामिया के छात्रों के जलूस में शामिल नाबालिग ने गोली चलाकर सांप्रदायिक रंग को गहरा कर दिया